मुंबई, 30 सितंबर (आदर्श महाराष्ट्र संवाददाता): मुंबई नगरी में आज तक यात्राएं तो काफी निकली, लेकिन जिस रथयात्रा को 'अभूतपूर्व' और 'आदर्श' ऐसे शब्दों से नवाजा जा सके ,ऐसी महारथयात्रा दिनांक २५ सितम्बर को हर्षोल्लास के साथ निकली थी.
जैन आगमादि धर्म शास्त्रों और उसका अनुकरण करने वाले सामाचारी के अनुसार आराधना करने वाले- कराने वाले भिवंडी से भायखला और नालासोपारा से वालकेश्वर तक के जैन संघ और समस्त संघ के आराधकों के सामूहिक आयोजन में कुदरत ने भी जो साथ -सहयोग दिया, उसे प्रभु कृपा का चमत्कार ही मानना पड़ेगा. इस महारथयात्रा की एक- एक विशेषता का यदि वर्णन हो तो पन्नों के पन्ने भर जाय संक्षेप में कहना हो तो ऐसा कहा जा सकता है कि इस महारथयात्रा में सब कुछ विशेष था. विशेषताओं का महामेला भरा था. इस महारथयात्रा मे लगभग डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई इस महायात्रा की शोभा को देखने के लिए भारतभर से और मुंबई के उपनगरों में से जो जनसागर उमटा था, उसके सामने अरब सागर भी वामन लगता था और मुंबई के महामार्ग भी संकरे साबित हुए थे.
इस महारथयात्रा में पाठशाला के हजारों विद्यार्थियों ने जो उत्साह दिखाया था, हजारों युवा जिस उत्साह से नाचे थे और हजारों प्रौढ़ और वृद्धों ने अपनी उपस्थिति से इस रथयात्रा की जो शोभा बढ़ाई थी, उसकी तो बात ही नहीं की जा सकती.
इस महारथयात्रा में पू.आ.श्री विजयसिद्धिसूरीश्वरजी. म. सा., पू. आ.श्री विजय शांतिचंद्र सूरीश्वरजी.म.सा, पू,आ. श्री.विजय शांतिचंद्रसूरीश्वरजी.म.सा. और पू.आ.श्री.विजयअमृतसूरीश्वरजी.म.सा. इन 4 समुदायों के जिनाज्ञाप्रिय अनुयायियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ध्यानाकर्षक बनी थी.
तपागच्छ के सबसे सुविशाल 'सूरिरामचंद्र' समुदाय के महानायक पू.आ.भ.श्री विजयपुण्यपाल सूरीश्वरजी महाराजा के अपने स्वास्थ्य की नाजुक अवस्था में भी इस महारथयात्रा में निश्रा देने हेतु पधारने से सकल श्री संघ का उत्साह आसमान को लांग गया था. महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगतसिंह कोश्यारी, कैबिनेट मंत्री श्री मंगलप्रभात लोढ़ा, एमएलए श्रीमती गीताबेन जैन तथा श्रीमती शायना एनसी, डायमंड के अग्रणी श्री.भरत भाई शाह, श्री.विनोदभाई अजबाणी, श्री.राजेनभाई शाह, श्री.शैलेशभाई अजबाणी, श्री.कैवनभाई जवेरी, श्रीमती.प्रेमलताबेन कोठारी, श्री.रमणभाई शाह, श्री.हिमांशुभाई राजा, श्री.हितेषभाई मोता आदि महानुभावों ने इस रथयात्रा के दर्शन कर धन्यता का अनुभव किया था.
पू. गच्छाधिपतिश्री की आज्ञा -आशीर्वाद से 2 वर्ष पूर्व प्रवचन प्रभावक पू. आ. श्री विजय कीर्तियश सू. म. सा. की निश्रा में समूह रथयात्रा की सर्वप्रथम शुरुआत हुई थी. इस बार गच्छाधिपति पूज्यश्री की पुनीत निश्रा प्राप्त होने से सभी का भावोल्लास ऐसा वृद्धिगत बना कि अब हर वर्ष ऐसी समूह महारथयात्रा चढ़ते रंग के साथ आयोजित करने के मनोरथ में सकल संघ के जुड़ने से आगामी महारथयात्रा के दिन की घोषणा होने के साथ ही मुख्य लाभार्थी आदि के नाम भी दर्ज हो गए थे.
जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ प्रभु के केवल ज्ञान कल्याणक दिन और महान जैनाचार्य श्री विजय महाबलसूरीश्वरजी म. सा. की छट्ठी पुण्यतिथि के दिन आयोजित यह महारथयात्रा मुंबई की जनता के लिए यादगार बन गई. रथ यात्रा के बाद मोतीशा लालबाग जैन संघ के उपाश्रय में धर्मसभा आयोजित होने से उस में गुरु भगवंतों के मार्मिक प्रवचन, दीक्षार्थियों का सम्मान, पाठशाला के विद्यार्थियों का सम्मान आदि संपन्न हुआ था.
उसके बाद हजारों साधर्मिकों को बैठाकर आदर्श भोजन भक्ति का आयोजन किया गया था और शाम को चंदनबाला के श्री महावीरस्वामी जिनालय में अलौकिक महापूजा का आयोजन किया गया था. इसमें भी हजारों भाविकों ने दर्शन का लाभ लेकर धन्यता का अनुभव किया था. जैन धर्म के मूलभूत सिद्धांतों एवं आदर्शों को ध्यान में रखकर उसके पालन के साथ मनाई गई यह महारथयात्रा वास्तव में आदर्शरूप बन गई थी.
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